श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर जिसे आमतौर पर दगडूशेठ गणपति के नाम से जाना जाता है पुणे, महाराष्ट्र, में स्थित है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध और पूज्य गणपति (भगवान गणेश) मंदिरों में से एक है। दगडूशेठ गणपति मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थान है, बल्कि पुणे में स्थित एक प्रमुख और प्रतिष्ठित स्थल भी है, जो भगवान गणेश के भक्तों की भक्ति का प्रतीक है।
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर की स्थापना श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई ने की थी। श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई उस दौर के बहुत प्रसिद्ध मिठाई व्यापारी हुआ करते थे। 1893 में पुणे में प्लेग नाम की बीमारी फैली थी, इसी महामारी के दौरान दगडूशेठ हलवाई के बेटे की मौत हो गई थी। श्रीमंत दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई इस वजह से बहुत दुखी थे। जब वे अपने गुरु श्री माधव नाथ से मिले, तो उन्होंने श्रीमंत दगडूशेठ से भगवान गणेश और दत्त की मूर्तियों की स्थापना करने और प्रतिदिन मूर्तियों की पूजा करने के लिए कहा।
मंदिर में गणेश मूर्ति स्थापित किए जाने के दौरान लोकमान्य तिलक स्वयं उपस्थित थे। लोकमान्य तिलक जी ने 1894 में सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत की, उसके बाद 1896 में गणेश जी की दूसरी मूर्ति स्थापित की गई। इस मूर्ति को बनाने में करीब 1200 सौ रुपए का खर्च आया है। 2002 में, पुराने मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था और एक बहुत ही सुंदर और भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था।
गणपति की मूर्ति
मंदिर अपनी सुंदर गणेश की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जो लगभग 40 किलोग्राम सोने से सजी हुई है। मूर्ति की ऊँचाई लगभग 2.2 मीटर और चौड़ाई 1 मीटर है, मुख्य गणेश मूर्ति पंचधातु से बनी है। जिससे यह भारत में सबसे बड़ी और प्रभावशाली गणेश की मूर्तियों में से एक है। मंदिर में अन्य कई देवताओं का भी घर है, जिनमें दत्तात्रेय, शिव और पार्वती शामिल हैं।
संगमरमर से बने दो प्रहरी जय और विजय शुरू में सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं। इस मंदिर में सुंदर गणेश प्रतिमा को बाहर से भी देखा जा सकता है। गणेश जी की मूर्ति 2.2 मीटर लंबी और 1 मीटर चौड़ी है। इसे करीब 40 किलो सोने से सजाया गया है। गणेश जी के भक्त उन्हें सोना और पैसा चढ़ाते हैं। इसके अलावा, देवता को चढ़ाए गए नारियल के ढेर मंदिर की एक और विशेषता है। गणेश जी की दैनिक पूजा, अभिषेक और आरती उपस्थित होने लायक है।
गणेश चतुर्थी महोत्सव
मंदिर विशेष रूप से गणेश चतुर्थी महोत्सव के दौरान जीवंत और भीड़-भाड़ से भर जाता है, जो भगवान गणेश के जन्म के अवसर पर मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। यह महोत्सव सामान्यतः हर वर्ष अगस्त या सितंबर में मनाया जाता है, गणेशोत्सव के त्योहार के दौरान मंदिर को 100,000 से अधिक नारियल से सजाया जाता है।गणेश उत्सव के दौरान मंदिर की रोशनी अद्भुत होती है।और यह भारत और इससे पार राष्ट्रों से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
सामाजिक पहल:
मंदिर ₹10 मिलियन (US$130,000) के लिए बीमाकृत है।दगडूशेठ गणपति मंदिर ट्रस्ट विभिन्न चैरिटेबल और सामाजिक पहलों में शामिल है। वे गरीब लोगों की सहायता, शिक्षा समारोह, और स्वास्थ्य सेवाओं को समर्थन करते हैं। कई मशहूर हस्तियों और राजनेताओं ने इस मंदिर का दौरा किया। सोने के गहने भी भेंट किए । 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव में यहां कई गतिविधियां की जाती हैं।
मंदिर को सजाया गया है, नजारा काफी खूबसूरत रहता है। मंदिर ट्रस्ट कई सामाजिक उपयोगी कार्यक्रम चलाते हैं जैसे कि ससून अस्पताल में मरीजों को भोजन की सुविधा प्रदान करना। मंदिर ट्रस्ट वृद्धाश्रम भी चलाते हैं और अनाथ बच्चों के लिए कुछ आश्रम भी चलाते हैं। मंदिर में जाने के लिए एक तत्काल सुविधा भी है जो केवल 100 रुपये में उपलब्ध है।
आप मंदिर को ऑनलाइन दक्षिणा भी दे सकते हैं या फिर वहां जाकर फिजिकल करेंसी भी दे सकते हैं, गणेश भगवान जी के दर्शन करने के बाद आपको आत्मिक शांति मिलती है और मंदिर से बाहर जाने का बिल्कुल भी मन नहीं करता है, इसलिए जब भी आप पुणे आएं तो मंदिर जरूर जाएं।
दगडूशेठ गणपति कैसे पहुंचें
यह मंदिर पुणे स्टेशन से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। टैक्सी, ऑटो और स्थानीय बसें अक्सर उपलब्ध हैं। अगर आप पुणे घूमने आ रहे हैं तो आपको दगडूशेठ गणपति मंदिर जरूर जाना चाहिए।
दगडूशेठ गणपति का शुभ समय
मंदिर
सुबह
6:00 बजे
खुलता
है
और
रात
में
11:00 बजे
बंद
हो
जाता
है।