अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती माँ दुर्गा की सबसे प्रसिद्ध आरती है, जो विशेष रूप से माँ काली के रूप को समर्पित है। इसे अक्सर धार्मिक आयोजनों और त्योहारों के दौरान भक्तों द्वारा बड़े भक्ति और श्रद्धा के साथ गाया जाता है।रोजाना इस आरती को करने से बुराई दूर होती हैं और स्वस्थ, समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त होता है।
अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
तेरे भक्त जनों पर माता, भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ों माँ करके सिंह सवारी।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टो को पल में संहारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग मे बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत – कपूत सुने है पर न, माता सुनी कुमाता ॥
सबपे करुना बरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे, इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
चरण शरण मे खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो, माँ सकंट हरने वाली।
माँ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली, भक्तो के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥