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गणेश आरती
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहर को॥
हाथ लिए गुड लद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पद को॥
जय देव जय देव
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता॥
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे॥
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनन्दन निशिदिन गुण गावे॥
जय देव जय देव
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता॥
जय देव जय देव
घालीन लोटांगण वंदिन चरन,
डोल्यांनी पाहीं रुप तुझे,
प्रेम आलिंगिन आनंदे पूजीं,
भावे ओवालीन म्हणे नामा।
त्वमेव माता पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव,
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्वम मम देव देव,
कयें वच मनसेन्द्रियैवा,
बुद्धयात्मना व प्रकृतिस्वभावा,
करोमि यद्यत सकलं परस्मै,
नारायणायेति समर्पयामि ।
अच्युत केशवम रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरी,
श्रीधरम माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्रम भजे ।
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा
कृष्णा कृष्णा हरे हरे ।
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा
कृष्णा कृष्णा हरे हरे ।
To Listen This Song 👇Singer(s): Jatin-Lalit
Composer: Jatin-Lalit