गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस दिन देवगुरु बृहस्पति की भी आराधना की जाती है, गुरुवार के व्रत में बृहस्पति देव की आरती करने का विधान माना जाता है।
बृहस्पति देव देवताओं के गुरू माने जाते हैं। साथ ही वह भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। बृहस्पति देव का पूजन करने से ज्ञान, गुण, विवेक की प्राप्ति होती है। देवगुरु बृहस्पति की आरती करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
श्री बृहस्पति देव की आरती
जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥
सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो बृहस्पति देव भगवान की जय ॥