आदि शंकराचार्य ने परीब्रजन के दौरान 18 महाशक्तिपीठ का दर्शन किया। और उन्हें अष्टादश महाशक्तिपीठ कहा। 18 महाशक्तिपीठ में से भारत में 17 महाशक्तिपीठ और 1 महाशक्तिपीठ श्री लंका में है।
अष्टादश महाशक्तिपीठ
1. शंकरीदेवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को शंकरीदेवी और भैरव को त्रिकोणेश्वर कहते हैं। हिस्सा - ऊसन्धि
स्थान – त्रिंकोमाली ( श्रीलंका )
2. कामाक्षी देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को कामाक्षी देवी और भैरव को एकाम्रनाथ कहते हैं। यहां देवी का सतह का हिस्सा गिरा था।
स्थान – कांचीपुरम ( तमिलनाडु )
3. प्रद्युम्न श्रंखला शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को स्वर्णकला देवी कहते हैं। यहां देवी का उदर भाग गिरा था।
स्थान -पांडुआ ( पश्चिम बंगाल )
4. चामुंडेश्वरी देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को चामुंडेश्वरी देवी और भैरव को महावालेश्वर कहते हैं। यहां देवी का बाल गिरा था।
स्थान – मैसूर ( कर्नाटक )
5.जगुलम्बा देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को जगुलम्बा देवी और भैरव को वालब्रह्मेश्वर कहते हैं। यहां देवी का ऊपरी दांत गिरा था।
स्थान – आलमपुर ( आंध्र प्रदेश )
6. भ्रामराम्बा देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को भ्रामराम्बा देवी और भैरव को मल्लिकार्जुन कहते हैं। यहां देवी का गर्दन का हिस्सा गिरा था।
स्थान – श्रीशैलम ( आंध्र प्रदेश )
7. अंबाबाई शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को अंबाबाई और भैरव को क्रोधीश कहते हैं। यहां देवी की आँख गिरी थी।
स्थान – कोल्हापुर ( महाराष्ट्र )
8. रेणुका देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को रेणुका देवी कहते हैं। यहां माता का दक्षिण हाथ गिरा था।
स्थान – नांदेड़ ( महाराष्ट्र )
9. देवी हरसिद्धि शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को देवी हरसिद्धि और भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं। यहां माता का ऊपरी पेट गिरा था।
स्थान – उज्जैन ( मध्य प्रदेश )
10. पुरुहुतिका देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को पुरुहुतिका देवी और भैरव को कुक्कुटेश्वर कहते हैं। यहां माता का बायां हाथ गिरा था।
स्थान -पीठापुरम ( आंध्र प्रदेश )
11. बिरजा /गिरिजा देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को बिरजा /गिरिजा देवी और भैरव को श्वेत बराह कहते हैं। यहां देवी की नाभि गिरी थी।
स्थान – जाजपुर ( उड़ीसा )
12. मणिकाम्बा देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को मणिकाम्बा देवी और भैरव को दण्डपाणि और बत्स्यनाथ कहते हैं। यहां माता का बायां गाल गिरा था।
स्थान – द्राक्षरमन ( आंध्र प्रदेश )
13. कामाख्यादेवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को कामाख्यादेवी और भैरव को कामेश्वर कहते हैं। भगवती सती की योनि (गर्भ) प्रजनन नलिका नीलाचल पर्वत पर गिरी थी।
स्थान – गौहाटी ( असम )
14. अलोपशंकरी देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को माधवेश्वरीदेवी और भैरव को भवः कहते हैं। यहां देवी की उंगलियां गिरी थी।
स्थान – प्रयाग ( उत्तर प्रदेश )
15. ज्वाला देवी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को ज्वालामुखी देवी और भैरव को उन्मत्त कहते हैं। यहां देवी के सिर का भाग गिरा था।
स्थान – कांगड़ा ( हिमाचल प्रदेश )
16. माँ मंगला गौरी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को मङ्गलागौरी कहते हैं। यहां देवी के स्तन का हिस्सा गिरा था।
स्थान – गया ( बिहार )
17. विशालाक्षी शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को माँ विशालाक्षी और भैरव को काल कहते हैं। यहां देवी के कानों का कर्ण/कुण्डल गिरा था।
स्थान – मणिकर्णिका घाट वाराणसी (काशी)
18. शारदा शक्तिपीठ
शक्ति- यहां माता को शारदा देवी/ सरस्वती देवी मंदिर कहते हैं। यहां देवी का दाहिना हाथ / कान गिरा था।
स्थान – कश्मीर