चित्रकूट के घाट पर, भई संतन की भीर ,
श्री तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक करे रघुवीर,
जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है,
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है।
जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है,
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है...
कैसी घड़ी आज, जीवन की आई,
हो..अपने ही प्राणो की, करते विदाई,
अपने ही प्राणो की, करते विदाई
अब ये अयोध्या हमारी नहीं है,
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है....
माता कौशल्या की, आँखों के तारे,
दशरथ जी के, राज दुलारे,
दशरथ जी के हो, राज दुलारे,
कभी ये अयोध्या, भुलाना नहीं है,
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है...
जाओ प्रभु अब, समय हो रहा है,
घरो का उजाला, कम हो रहा है,
घरो का उजाला भी, कम हो रहा है,
अँधेरी निशा का, ठिकाना नहीं है,
अभी हमने जी भर के, देखा नहीं है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है...
जरा देर ठहरो राम, तमन्ना यही है,
अभी हमने जी भर के, देखा नहीं है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है.…
To Listen This Bhajan 👇Singer : Prakash Gandhi