हिंदू धर्म में गंगा दशहरा एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन जगत की पालनहार मां गंगा की पूजा की जाती है। शास्त्रों में लिखा है कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसलिए हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन गंगा पूजन और स्नान करने से व्यक्ति के अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन गंगा नदी में स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त बेहद शुभ होता है। धार्मिक मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान और ध्यान करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। लोग गंगा नदी में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। इसके बाद वे मां गंगा की विधि-विधान से पूजा करते हैं।
हिंदू धर्म में किसी भी दिन गंगा स्नान करना और मां गंगा की पूजा करना अक्षम्य पापों को नष्ट करने वाला होता है, परंतु गंगा दशहरा का पर्व गंगा जी की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। गंगा स्नान करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है।
सनातन धर्म में गंगा दशहरा का बहुत ही विशेष महत्व है। यह त्योहार गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार गंगा नदी का अवतरण राजा भागीरथ की तपस्या के फलस्वरूप हुआ था। राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तप किया था।
भगीरथ की तपस्या से शिव जी प्रसन्न हुए और उन्होंने भगीरथ को वरदान दिया कि जब गंगा स्वर्ग से उतरेंगी तो वे उसे अपनी जटाओं में स्थान देंगे। भगवान शिव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में धारण करके पृथ्वी पर उतारा था। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को 10 योगों में माँ गंगा देवी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसलिए इस पर्व को गंगा दशहरा कहा गया है। माँ गंगा पृथ्वी लोक पर मनुष्यों के कल्याण और उन्हें मोक्ष प्रदान करने के लिए अवतरित हुईं थीं।
ऐसे भी कहा जाता है कि गंगा में स्नान मात्र करने से 10 तरह के पाप धुल जाते हैं, जिसमें 3 दैहिक, 4 वाणी के द्वारा किए पाप और 3 मानसिक पाप शामिल हैं। इसलिए हिंदू धर्म के मानने वाले अपने जीवन काल में एक बार तो गंगा स्नान जरूर करते हैं। गंगा दशहरा पर माँ गंगा की पूजा बेहद शुभ एवं फलदायी मानी जाती है। गंगा दशहरा के दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
गंगा दशहरा पूजा विधि
गंगा दशहरा पर ब्रह्म मुहूर्त में गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है, जब गंगा नदी में स्नान करें, तब दस बार डुबकी लगानी चाहिए। लेकिन अगर यह संभव न हो तो पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नम:’ मंत्र का उच्चारण करें।
गंगा स्नान के बाद भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए, शिवलिंग पर जल एवं पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, ऋतु फल, धतूरा, चंदन, धूप, दीप, अक्षत एवं पुष्प अर्पित करें। संभव हो तो इस दिन गंगा नदी में दीप जलाकर प्रवाहित करना चाहिए।
स्कंद पुराण के अनुसार, गंगा दशहरे के दिन दान का विशेष महत्व है। यह पूजा दान-दक्षिणा के बिना अधूरी मानी जाती है, इसलिए माँ गंगा का स्मरण करते हुए, ब्राह्मणों व जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा अवश्य दें। जिस भी वस्तु का दान करें, उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए।
ऐसा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है एवं मां गंगा प्रसन्न होकर मनुष्य को पापों से मुक्त करती हैं। दक्षिणा भी दस ब्राह्मणों को देनी चाहिए। इस दिन पानी से भरा हुआ घड़ा, सुराही या कलश का दान करें। मौसमी रसदार फल जैसे तरबूज, खरबूजा, नारियल आदि का दान करना चाहिए और सत्तू का दान करना शुभ माना जाता है।
श्रद्धा अनुसार धन और अन्न का भी दान करना चाहिए। सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार की चीजें दान करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों को दान करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है। गंगा स्नान के बाद दान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।