राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।
हाथ सुमिरनी, बगल कतरनी,
पढ़ै भागवत गीता रे,
राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।
हृदय शुद्ध नही किन्हें मूरख,
कहत सुनत दिन बीता रे।
आय देव की पूजा कीन्हा,
हरि सों रहा अभीता रे,
राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।
धन यौवन तेरा यूँ ही जाएगा ,
अंत समय चल रीता रे।
बाँवरिया ने त्यागी पूजा,
फंद जाल सब कीता रे,
राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।
कहत 'कबीर' सुनो भाई साधू,
काल यूँ खा जाएगा,
जैसे मृग को चीता रे,
राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।
राम भजा सो जीता जग में,
राम भजा सो जीता रे।