भज ले प्यारे सांझ-सवेरे,
एक माला हरी नाम की,
जिस माला मे राम नहीं,
वो माला किस काम की।
नाम के बल पर बजरंगी ने,
सागर सिला तिराई थी,
बाण लगा जब लखनलाल को,
संजीवनी पिलाई थी,
नाम के बल पर देखो भाई,
बन आई हनुमान की,
भज ले प्यारे सांझ-सवेरे,
एक माला हरी नाम की।
नाम के बल पर अंगद जी ने,
रावण को ललकारा था,
लेकर नाम प्रभु का वो,
रावण की सभा मे पधारा था,
महिमा अगम अपार है,
श्री रामचंदर भगवान् की,
भज ले प्यारे सांझ-सवेरे,
एक माला हरी नाम की।
एक माला को माँ सीता ने,
बजरंगी को दान दिया,
बजरंगी ने तोड़ - तोड़कर,
भूमि ऊपर डाल दिया,
बजरंगी के ह्रदय बसी थी,
मूरत सीताराम की,
भज ले प्यारे सांझ-सवेरे,
एक माला हरी नाम की।
बड़े भाग्य से तुमने भाई,
मानव तन ये पाया है,
गर्भकाल मे कोल किया था,
बाहर आ बिसराया है,
सब मिलकर अब जय बोलो जी,
पवनपुत्र हनुमान की,
भज ले प्यारे सांझ-सवेरे,
एक माला हरी नाम की।