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हे जगत पिता परमात्मा
करो निर्मल मेरी आत्मा
दुःख हरो दयालु
अब सुख दो सब अवगुण
मेरे करो क्षमा
प्रभु करो क्षमा
प्रभु करो क्षमा
हे जगत पिता परमात्मा
आ.... आ.... आ... आ... आ.. आ...
तुमको तो करोड़ों साल हुये
बतलाओ गगन गंभीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया में
क्यों अलग अलग तक़दीर
तुमको तो करोड़ों साल हुये
बतलाओ गगन गंभीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया में
क्यों अलग अलग तक़दीर
मिलते है किसी को
बिन मांगे ही मोती हो ओ
कोई मांगे लेकिन
भीख नसीब न होती हो ओ
क्या सोच के है
मालिक ने रची
ये दो रंगीन तस्वीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया
में क्यों अलग अलग तक़दीर
तुमको तो करोड़ों साल हुये
बतलाओ गगन गंभीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया
में क्यों अलग अलग तक़दीर
कुछ किस्मत वाले
सुख से अमृत पीते ओ ओ
कुछ दिल पर रख कर
पत्थर जीवन जीते ओ ओ
कही मन पंछी आकाश उड़े
कही पाँव पढ़ी जंजीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया
में क्यों अलग अलग तक़दीर
तुमको तो करोड़ों साल हुये
बतलाओ गगन गंभीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया
में क्यों अलग अलग तक़दीर
क्यों अलग अलग तक़दीर
क्यों अलग अलग तक़दीर
क्यों अलग अलग तक़दीर
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