To Listen This Bhajan 👇
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो,
जीवन निरर्थक जाने न पाए।
यह मन ना जाने क्या-क्या कराये,
कुछ बन ना पाया अपने बनाये।
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो,
जीवन निरर्थक जाने न पाए।
संसार मे ही आसक्त रह कर,
दिन रात अपने मतलव की कह कर।
सुख के लिए लाखों दुख सह कर,
ये दिन अभी तक यूँ ही गवाए।
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो,
जीवन निरर्थक जाने ना पाए।
ऐसा जगा दो फिर सो ना पाऊँ,
अपने को निष्काम प्रेमी बना दो।
मै आपको चाहूँ और पाऊँ,
संसार का कुछ रह ना पाए।
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो,
जीवन निरर्थक जाने ना पाए।
हे नाथ मुझको निष्काम बना दो,
देना सीखा दो दानी बना दो।
नर तन है साधन भव सिन्धु तर लूँ,
ऐसा समय फिर आए ना आए।
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो,
जीवन निरर्थक जाने ना पाए।
To Listen This Bhajan 👇