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मिथिला का कण-कण खिला,
जमाई राजा राम मिला,
मिथिला का कण-कण खिला,
जमाई राजा राम मिला।
जनक सूती संग तुम रहियो ऐसे,
कनक कली पर भंवरा हो जैसे,
कनक कली पर भंवरा हो जैसे,
हाँ रामचंद्र चकोरी सिया,
जमाई राजा राम मिला,
मिथिला का कण-कण खिला,
जमाई राजा राम मिला।
कनक अटारी जनक दुलारी,
निरख रही है तोहै धनुर्धारी,
निरख रही है तोहै धनुर्धारी,
लेके पलकों में तुमको छुपा,
जमाई राजा राम मिला,
मिथिला का कण-कण खिला,
जमाई राजा राम मिला।
पति-पत्नी व्रत धर्म निभाना,
दोनों कुलों का मान बढ़ाना,
दोनों कुलों का मान बढ़ाना,
अब दुनिया का होगा भला,
जमाई राजा राम मिला,
मिथिला का कण-कण खिला,
जमाई राजा राम मिला।
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