सबसे ऊँची प्रेम सगाई,
सबसे ऊँची प्रेम सगाई।
दुर्योधन को मेवा त्याग्यो,
साग विदुर घर खाई ।
सबसे ऊँची प्रेम सगाई॥
जूठे फल शबरी के खाये,
बहुबिधि प्रेम बताई ।
सबसे ऊँची प्रेम सगाई॥
प्रेम के बस अर्जुन-रथ हाँक्यो,
भूल गए ठकुराई।
सबसे ऊँची प्रेम सगाई॥
ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन,
गोपिन नाच नचाई ।
सबसे ऊँची प्रेम सगाई॥
सूर क्रूर इस लायक नाहीं,
कहँ लगि करौं बड़ाई।
सबसे ऊँची प्रेम सगाई॥
सबसे ऊँची प्रेम सगाई,
सबसे ऊँची प्रेम सगाई॥
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे,
हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे,
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे,
हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे,
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे,
हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे,
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे,
हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे॥
To Listen This Bhajan 👇