राम भजन
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ,
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं से चला करती प्राणों की धड़कन,
तुम्हीं से सचेतन अहंकार तन-मन,
तुम्हीं में ये दर्शन किए जा रहा हूँ,
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ,
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
असत के सदा आश्रय हो तुम्हीं सत,
तुम्हीं में विषय विष, तुम्हीं में है अमृत,
पिलाते हो जो कुछ पिए जा रहा हूँ,
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ,
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
जहाँ भी रहूँ ध्यान में तुमको देखूँ,
तुम्हीं में हूँ मैं ज्ञान में तुमको देखूँ,
पथिक मैं ये अर्ज़ी दिए जा रहा हूँ,
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ,
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥