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आयी हूँ बड़ी आस लिए
शरण तुम्हारी
आयी हूँ बड़ी आस लिए
शरण तुम्हारी
तुम रख लो मेरी लाज
मेरे कृष्ण-मुरारी
आयी हूँ बड़ी आस लिए
शरण तुम्हारी
आई हूँ।
तक़दीर ने तो जान के
धोखा दिया मुझको
तक़दीर ने तो जान के
धोखा दिया मुझको
अपनों ने परायो ने भी
ठुकरा दिया मुझको
अब तुम न सुनोगे तो
सुने कौन हमारी
आयी हूँ बड़ी आस लिए
शरण तुम्हारी
आई हूँ।
तुम देख रहे हो जो
मुझपे बीत रही है
तुम देख रहे हो जो
मुझपे बीत रही है
तुम जानते हो कौन
गलत कौन सही है
दुःख दर्द का यह दौर तो
मुद्दत से है जारी
आयी हूँ बड़ी आस लिए
शरण तुम्हारी
आई हूँ।
हूँ अपने घर में पर
मिला है देश निकाला
हूँ अपने घर में पर
मिला है देश निकाला
जाऊ के रहु बोलो
मेरे नन्द के लाला
अब चुप न रहो
आ गयी इन्साफ की बारी
आयी हूँ बड़ी आस लिए
शरण तुम्हारी
तुम रख लो मेरी लाज
मेरे कृष्ण-मुरारी
आई हूँ।
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