देवउठनी एकादशी भजन
उठो देव, बैठो देव,
पाटकली चटकाओ देव।
आषाढ़ में सोए देव,
कार्तिक में जागो देव।
कोरा कलशा मीठा पानी,
उठो देव पियो पानी।
हाथ पैर फटकारो देव,
अंगुलिया चटकाओ देव।
कुंवारों के व्याह कराओ देव,
व्याहों के गौने कराओ देव।
तुम पर फूल चढ़ाए देव,
घी का दिया जलाएं देव।
आओ देव पधारो देव,
तुमको हम मनाएं देव।
चूल्हा पीछें पॉंच पछीटे,
सासू जी बलदाउ जी थारे बेटा।
ओने कोने झांझ मजीरा,
सहोदर किशन जी तुम्हारे वीरा।
ओने कोने रखे अनार,
ये है किशन जी तुम्हारे व्यार।
ओने कोने लटकी चाभी,
सहोदरा ये है तुम्हारी भाभी।
जितनी खूटीं टागूं सूट,
उतने इस घर में जन्में पूत।
जितनी इस घर सींक सलाई,
उतनी इस घर में बहुॅंएं आईं।
जितनी इस घर में ईंट और रोडे,
उतने इस घर में हाथी घोड़े।
जागो इस दुनिया के देव,
गन्ने का भोग लगाओ देव।
जागो उस दुनियां के देव,
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव।
जागो इस दुनिया के देव,
बैंगन का भोग लगाओ देव।
जागो इस दुनिया के देव,
मूली का भोग लगाओ देव।
जागो इस दुनिया के देव,
बेर का भोग लगाओ देव।
जागो इस दुनिया के देव,
गाजर का भोग लगाओ देव।
जागो इस दुनिया के देव,
पुए का भोग लगाओ देव।
जागो इस दुनिया के देव,
छप्पन भोग लगाओ देव।