शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्
घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥ १ ॥
कळकळकाळरूपं कल्लोळंकंकराळम्
डम डम डमनादं डम्बुरुं डंकनादम्
सम सम शक्तग्रिवं सर्वभूतं सुरेशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥ २ ॥
रम रम रामभक्तं रमेशं रां रारावम्
मम मम मुक्तहस्तं महेशं मं मधुरम्
बम बम ब्रह्मरूपं बामेशं बं विनाशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥ ३ ॥
हर हर हरिप्रियं त्रितापं हं संहारम्
खमखम क्षमाशीळं सपापं खं क्षमणम्
द्दग द्दग ध्यानमूर्त्तिं सगुणं धं धारणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥ ४ ॥
पम पम पापनाशं प्रज्वलं पं प्रकाशम्
गम गम गुह्यतत्त्वं गिरीशं गं गणानाम्
दम दम दानहस्तं धुन्दरं दं दारुणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥ ५ ॥
गम गम गीतनाथं दूर्गमं गं गंतव्यम्
टम टम रूंडमाळं टंकारं टंकनादम्
भम भम भ्रम् भ्रमरं भैरवं क्षेत्रपाळम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ॥ ६ ॥
त्रिशुळधारी संहारकारी गिरिजानाथम् ईश्वरम्
पार्वतीपति त्वम्मायापति शुभ्रवर्णम्महेश्वरम्
कैळाशनाथ सतीप्राणनाथ महाकालम्कालेश्वरम्
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ॥ ७ ॥
नीलकंठाय सत्स्वरूपाय सदा शिवाय नमो नमः
यक्षरूपाय जटाधराय नागदेवाय नमो नमः
इंद्रहाराय त्रिलोचनाय गंगाधराय नमो नमः
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ॥ ८ ॥
तव कृपा कृष्णदासः भजति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः स्मरति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पश्यति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पिबति भूतनाथम् ॥ 0 ॥
॥ अथ श्रीकृष्णदासः विरचित
‘भूतनाथ अष्टकम्’ यः पठति
निस्कामभावेन सः शिवलोकं सगच्छति ॥
To Listen This Ashtakam 👇