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जय दुर्गे माँ, जय अम्बे माँ, जय वैष्णो माँ...
जय माँ.. जय माँ..
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ।
मुझसे हो न जुदा मेरा भगवान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ॥
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ।
मांग सिन्दूर से ये भरी ही रहे
मैं दिन रात तुझसे यही मांगती ।
साया सिर पे रहे मेरे सरताज का,
और इस के सिवा कुछ नहीं मांगती ।
इस दिल में है बस यही अरमान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ॥
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ।
जय माँ.. जय माँ..
जय माँ.. जय माँ..
कोई मंदिर सजे न बिना मूर्ति ,
बिन खवैया के नैया है किस काम की ।
इस बगियाँ का माली सलामत रहे,
माला जपती रहूँगी तेरे नाम की ।
दया मुझपे ये करना दयावान माँ ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ॥
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ।
मेरे जीवन का मालिक है जो देवता,
उम्र मेरी भी उस को लगा देना माँ ।
उसकी सांसो में सांसे ये घुलती रहे,
मुझको दिल से तू यही दुआ देना माँ ।
तेरा होगा बड़ा ही ये एहसान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ॥
मुझसे हो न जुदा मेरा भगवान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ।
दे दो अपनी पुजारन को वरदान माँ,
के जब तक जियु मैं सुहागन जियु ॥
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