कृष्ण भजन
मेरो मन वृंदावन में अटको,
मेरो मन हरिचरणन में अटको,
बनके जोगन डोलत ब्रज में,
बन के जोगन डोलत ब्रज में,
पीवत यमुना जल को,
मेरो मन वृंदावन में अटको,
मेरो मन हरिचरणन में अटको ।
मेरो मुझ में कुछ ना मोहन,
तेरी मिट्टी तेरो कण कण,
मेरो मुझ में कुछ ना मोहन,
तेरी मिट्टी तेरो कण कण,
वृंदावन की कुंज गलिन में,
वृंदावन की कुंज गलिन में,
मिल जाओ प्रभु मुझको,
मेरो मन वृंदावन में अटको,
मेरो मन हरिचरणन में अटको ।
इस जोगन के तुम हो साजन,
करना है सब आत्म समर्पण,
इस जोगन के तुम हो साजन,
करना है सब आत्म समर्पण,
अंत समय आनंद मिले मोहे,
अंत समय आनंद मिले मोहे,
बस वेणु के रस को,
मेरो मन वृंदावन में अटको,
मेरो मन हरिचरणन में अटको ।
याद में तोरी भई बावरी,
सुध लो मोरी कुंज बिहारी,
याद में तोरी भई बावरी,
सुध लो मोरी कुंज बिहारी,
अब आओ मेरे प्राण पियारे,
अब आओ मेरे प्राण पियारे,
अपनाओ या जन को,
मेरो मन वृंदावन में अटको,
मेरो मन हरिचरणन में अटको ।
मेरो मन वृंदावन में अटको,
मेरो मन हरिचरणन में अटको,
बनके जोगन डोलत ब्रज में,
बन के जोगन डोलत ब्रज में,
पीवत यमुना जल को,
मेरो मन वृंदावन में अटको,
मेरो मन हरिचरणन में अटको।
" गिरधर नागर नटवर नागर तरसे मेरो मन,
खींचे मेरो ध्यान बुलावे तेरो वृंदावन,
बरसे नैना बैरी रैना कब दोगे दर्शन,
यमुना तट पे इक दिन मुझको मिल जाओ मोहन "।