भजन
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी।
दुखहारी हरी, दुखिया जन की,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है।
जहां गिद्ध निषाद का आदर है,
जहाँ व्याध अजामिल का घर है।
वही भेष बदल के उसी घर में,
हम जा ठहरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी।
दुखहारी हरी, दुखिया जन की,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है।
जिस अंग की शोभा सुहावनी है,
जिस श्यामल रंग में मोहनी है।
उस रूप सुधा से स्नेहियों की,
दृग प्याले भरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी।
दुखहारी हरी, दुखिया जन की,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है।
हम द्वारे पे आपके आके खड़े,
मुद्दत से इसी जिद पर है अड़े,
भव-सिंधु तरे जो बड़े से बड़े,
तो हम भी तरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,
दुखहारी हरी, दुखिया जन की,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है।
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