भजन
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
सतगुरु की तू कही मान ले
सतगुरु की तू कही मान ले
बिर्था काहे डोले रे
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
जनम-जनम की मैली चादर
भाव भक्ति से हरी का चिंतन
बारम्बार तू कर ले
गुरु मंत्र का दिया तू अपने
ह्रदय माही धर ले
प्रभु कृपा ही एक दिन तेरे....
हो...प्रभु कृपा ही एक दिन तेरे
अन्तरद्वारे खोले रे
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
जनम-जनम की मैली चादर
चिंतन से मिट जाये चिंता
वंदन काटे बंधन रे
ओ प्राणी हरी भजन से अपना
जीवन कर ले चन्दन रे
प्रभु के माथे की बन शोभा....
हो...प्रभु के माथे की बन शोभा
जब भक्ति रस घोले रे
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
जनम-जनम की मैली चादर
लेके प्रभु से निर्मल चादर
क्यों मैली कर डाली
लाख जतन से इस चादर को
फिर नहीं मिलने वाली
इस चादर को आदर देदे...
हो...इस चादर को आदर देदे
शरण प्रभु की हो ले रे
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
जनम-जनम की मैली चादर
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
सतगुरु की तू कही मान ले
बिर्था काहे डोले रे
जनम-जनम की मैली चादर
भक्ति जल से धो ले रे
जनम-जनम की मैली चादर