कृष्ण भजन
बनवारी रे ओ बनवारी,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
जब जब पीड़ पड़ी दुखियन पर,
तुम्ही ने विपदा टारी रे,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी।
गण का ज्योति जनम की पापन,
परपुरषन की प्यारी परपुरषन की प्यारी,
धर्म कर्म के निकट ना आई पाप किए अति भारी,
पाप किए अति भारी,
एक तोते की रोम रतन से तूने पार उतारी रे,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी।
द्रुपदसुता पांडव की नारी जुवा खेल कर हारी,
जुवा खेल कर हारी,
भरी सभा मे दुष्ट दुशासन खैचन लागा साड़ी,
खैचन लागा साड़ी,
लूटती लाज बचाई जब वो दुखिया तुम्हे पुकारी रे,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी।
मीरा तेरे प्यार के कारण लोक लाज सब हारी,
लोक लाज सब हारी,
निर्लज कहे राणा ने उसको भेजी नाग पिटारी,
भेजी नाग पिटारी,
नाग फूल विष अमृत बन गया तेरी लीला न्यारी रे,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
जब जब पीड पड़ी दुखियन पर,
तुम्ही ने विपदा टारी रे,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी,
मेरी बारी रे काहे को भूले बनवारी।