हनुमान भजन
सिंदूर तन पे मल के
ज्वाला से जगमगाएं
कानो के दोनों कुंडल
तारों से झिलमिलाएं
हो.... सिंदूर तन पे मल के
ज्वाला से जगमगाएं
कानो के दोनों कुंडल
तारों से झिलमिलाएं
संभव नहीं हमारे ये पांव लड़खड़ाएं
थामे हुए हैं हमको हनुमान की भुजाएं
चिंता के मेघ गर्जे पर हम डरे कहां हैं
बजरंग दुख जगत के तुमसे बड़े कहां हैं
चिंता के मेघ गर्जे पर हम डरे कहां हैं
बजरंग दुख जगत के तुमसे बड़े कहां हैं
सागर के पार जाकर, सीता को खोज लाएं
संजीवनी का पर्वत, हाथों पे हो उठाएं
लंका जला दी जिसने, वो शूरवीर तुम हो
जो चीर दे गगन को, वो अग्नि तीर तुम हो
हे राम दूत आओ, हे राम दूत आओ
जिसे तुम ना भेद पाओ
संकट हमारे आखिर इतने कड़े कहां हैं
बजरंग दुख जगत के तुमसे बड़े कहां हैं
चिंता के मेघ गर्जे पर हम डरे कहां हैं
बजरंग दुख जगत के तुमसे बड़े कहां हैं
किसको झुकाएं माथा किससे लगाएं आशा
तुमने ही पाला पोसा तुम पे ही है भरोसा
हे राम के पूजारी दुविधा हरो हमारी
याचक खड़ा है आके द्वारे
हे नाथ बिन तुम्हारे दुखिया करे कहां हैं
बजरंग दुख जगत के तुमसे बड़े कहां हैं
चिंता के मेघ गर्जे पर हम डरे कहां हैं
बजरंग दुख जगत के तुमसे बड़े कहां हैं