भजन
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जब बुझ गयी शमा तो महफ़िल में रंग आया,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जीवन खतम हुआ तो।
गाड़ी निकल गयी तो, घर से चला मुसाफिर,
मुसाफिर, घर से चला मुसाफिर, मुसाफिर,
घर से चला मुसाफिर, मुसाफिर,
आखिर वो लौट कर के वापिस बेरंग आया,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जीवन खतम हुआ तो।
मन की मशीनरी ने उस वक्त चलना सीखा,
सीखा, उस वक्त चलना सीखा, सीखा,
उस वक्त चलना सीखा, सीखा,
तब बूढ़े तन के हर इक पुर्जे में जंग आया,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जीवन खतम हुआ तो।
फुर्सत के वक़्त भी ना सुमिरन का वक़्त निकला,
ना निकला, सुमिरन का वक़्त निकला, ना निकला,
सुमिरन का वक़्त निकला, ना निकला,
उस वक़्त वक़्त निकला जब वक़्त तंग आया,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जीवन खतम हुआ तो।
आयु ने नत्था सिंह जब हथियार फेंक डाले,
डाले, जब हथियार फेंक डाले, डाले,
जब हथियार फेंक डाले, डाले,
यमराज फ़ौज लेकर करने को जंग आया,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जीवन खतम हुआ तो।
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जब बुझ गयी शमा तो महफ़िल में रंग आया,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया,
जीवन खतम हुआ तो।