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कृष्ण भजन
ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ,
ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ,
तेरे चरणों की धूल मिल जाए,
तेरे चरणों की धूल मिल जाए,
तो मैं तर जाऊँ, श्याम तर जाऊँ,
हे राम तर जाऊँ।
मोह मन मोहे लोभ ललचाए,
मोह मन मोहे लोभ ललचाए,
कैसे-कैसे ये नाग लहराए,
कैसे-कैसे ये नाग लहराए,
इस से पहले की दिल उधर जाए,
मैं तो मर जाऊँ, क्यों ना मर जाऊँ,
ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ।
आ...आ...आ...आ.......
लाए क्या थे जो ले के जाना है,
लाए क्या थे जो ले के जाना है,
नेक दिल ही तेरा खज़ाना है,
नेक दिल ही तेरा खज़ाना है,
सांझ होते ही पंछी आ जाए,
अब तो घर जाऊँ, अपने घर जाऊँ,
तेरे चरणों की धूल मिल जाए,
तो मैं तर जाऊँ, श्याम तर जाऊँ,
हे राम तर जाऊँ।
आ...आ...आ...आ.......
थम गया पानी, जम गई काई,
थम गया पानी, जम गई काई,
बहती नदिया ही साफ़ कहलाई,
बहती नदिया ही साफ़ कहलाई,
मेरे दिल ने ही जाल फैलाए,
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ,
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ,
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ,
अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ।