शिव भजन
ओम....
चंद्रमा ललाट पर सोहे भुजंग दल,
सिर जटा जूट धर कर डमरू बाजे,
कर डमरू बाजे, कर डमरू बाजे।
नमो शंकरा, मेरे शंकरा
तू ही सत्य है ओ परमेश्वरा
है आदि अनंता तू देवों का देवा
तू लय भी है तू ही प्रलय महादेवा
तू साकार है और निराकार भी
तू योगी बैरागी शिवा
शिवा
महाकाल शंभु शिवा
जटाधारी तू जोगी शिवा
तेरे डमरू से स्वर जो उत्पन्न हुआ
वो सृष्टि की धड़कन बना
ओ शिवा, ओ शिवा, नमो शिवा
तू धरती गगन अग्नि जल थल पवन में समाया
शिव हम जपे उसने भीतर के शिव को जगाया
जो तुझपे समर्पण तो निर्वाण पाया
कैलाशी सर्वशिवा नृत्यप्रिया शंभु शिवा
जटाओं से अपनी जो गंगा बहाये
जो मंथन से विष का प्याला पी जाये
हे गंगाधरा नील कण्ठेश्वरा
तू योगी बैरागी शिवा
शिवा
महाकाल शंभु शिवा
जटाधारी तू जोगी शिवा
तेरे डमरू से स्वर जो उत्पन्न हुआ
वो सृष्टि की धड़कन बना
ओ शिवा, ओ शिवा, नमो शिवा
शिवा.....
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥
शिवा.....शिवा..... नमो शिवा....
ओम नमो शिवाय...