भरत चला रे अपने राजा को मनाने
भरत चला रे अपने राजा को मनाने
राजा को मनाने, राजा को मनाने
राजा को मनाने, राजा को मनाने
भगत चला रे प्रभु दर्शन पाने
राम दरश की उर अभिलाषा
बोले नयन प्रेम की भाषा
राम स्वाती जल भरत पपीयरा
स्वाती बूंद बिन तृप्त न दियरा
वियोगी चला रे जी की जरन मिटाने
अवध राम को अर्पण करने
प्रभुता प्रभु चरणों मे धरने
राज तिलक के साज सजाके
माताए चली संग प्रजा के
राजा का अधिकार राजा को लौटाने
भरत चला रे अपने भईया को मनाने
राजा को मनाने, भईया को मनाने
भरत चला रे अपने राजा को मनाने