कृष्ण भजन
मत मारो श्याम पिचकारी,
और मोरी भीगे चुनरियाँ सारी,
मोरी भीगे चुनरियाँ सारी सारी रे,
मत मारो श्याम पिचकारी॥
घूँघट खोल गई है मोसे गोरी,
हस मुस्काये मली है मुख रोरी,
और लपक झपक मोरी बइयाँ मरोड़,गयो,
और छाती पे चलायो हाथ मोहन माला तोड़ गयो,
मेरे संग की सहेली, मेरे संग की सहेली पीटे ताली,
मत मारो श्याम पिचकारी॥
रंग बिरंगी कली मैं सहेली,
कान्हा ने मोहे जान के अकेली,
जान के अकेली रस राँगनी सुनाई मोहे,
प्रेम में मगन भई वावरी बनाये मोहे,
मेरी सारी सूरत बिगाड़ी श्याम पिचकारी,
मत मारो श्याम पिचकारी॥
केसर रंग कनक पिचकारी,
आये अचानक मेरे मुख पे मारी,
ऐसी मारी पिचकारी काँप उठी एक संग,
मोपे करि भरी जोरि ढाल के रंगेलो रंग,
मेरी सास लड़ेगी देगी गाली,
मत मारो श्याम पिचकारी॥
उड़त गुलाल लाल भये बादल,
गूंज उठे यमुना के कादर,
बजत मिरदंग चंग ढप ढोलक खड़ताल,
होली को खिलाइयाँ पप्पू नाच रहो दे दे ताल,
खींचो लाला की रंगत न्यारी,
मत मारो श्याम पिचकारी॥