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कृष्ण भजन
परमेश्वर है कान्हा तू तो
निराकार अविकार प्रभु
भक्तो के उद्धार है तू
हो जाता है साकार
सारे जग पे है तेरा उपकार साँवरे
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।
लागे दूल्हा सा तू दिलदार सांवरे।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।
लागे दूल्हा सा तू दिलदार सांवरे।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे॥
बागो से कलियाँ चुन चुन कर,
सुन्दर हार बनाया ।
रहे सलामत हाथ सदा वो,
जिसने तुझे सजाया ।
सजाता रहे हर बार सांवरे।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।
लागे दूल्हा सा तू दिलदार सांवरे।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे॥
मस्तक पर मलियागिरी चन्दन,
केसर तिलक लगाया ।
मोर मुकुट कानो में कुण्डल,
इत्र खूब बरसाया ।
महकता रहे यह दरबार सांवरे,
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।
लागे दूल्हा सा तू दिलदार सांवरे।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥
बोल सांवरे बोल तुम्हे मैं,
कौन सा भजन सुनाऊँ ।
ऐसा कोई राग बतादे,
तू नाचे मैं गाऊं ।
नचाता रहूँ मैं, हर बार सांवरे,
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।
लागे दूल्हा सा तू दिलदार सांवरे।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥
बागो से कलियाँ चुन चुन कर,
सुन्दर हार बनाया ।
रहे सलामत हाथ सदा वो,
जिसने तुझे सजाया ।
सजाता रहे हर बार सांवरे
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे।
लागे दूल्हा सा तू दिलदार सांवरे।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥